Thursday 15 October 2015

अजीब दास्ताँ है ये, कहाँ शुरू कहाँ ख़तम

अजीब दास्ताँ है ये, कहाँ शुरू कहाँ ख़तम
ये मंज़िले हैं कौनसी, न वो समझ सके न हम
ये रोशनी के साथ क्यों, धुआँ उठा चिराग से
ये ख्वाब देखती हूँ मैं के जग पडी हूँ ख्वाब से
मुबारके तुम्हे के तुम किसी के नूर हो गए
किसी के इतने पास हो के सब से दूर हो गए
किसी का प्यार लेके तुम नया जहां बसाओगे
ये शाम जब भी आयेगी, तुम हमको याद आओगे

मेहबूब मेरे, मेहबूब मेरे तू है तो दुनिया कितनी हसीं है

मेहबूब मेरे, मेहबूब मेरे

तू है तो दुनिया कितनी हसीं है


जो तू नहीं तो, कुछ भी नहीं है
तुम हो तो बढ़ जाती है कीमत मौसम की


ये जो तेरी आँखे हैं शोला शबनम सी

यही मरना भी है मुझको, मुझे जीना भी यही है
अरमां किसको जन्नत की रंगीन गलियों का

मुझको तेरा दामन है बिस्तर कलियों का

जहाँपर हैं तेरी बाहें, मेरी जन्नत भी वही है
रख दे मुझको तू अपना दीवाना कर के


नज़दीक आ जा फिर देखू तुझको जी भर के

मेरे जैसे होंगे लाखों, कोई भी तुझसा नहीं है

ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा

ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा

कहा दो दिलों ने, के मिलकर कभी हम ना होंगे जुदा

ये क्या बात है, आज की चाँदनी में

के हम खो गये, प्यार की रागनी में

ये बाहों में बाहें, ये बहकी निगाहें

लो आने लगा जिंदगी का मज़ा
सितारों की महफ़िल नें कर के इशारा

कहा अब तो सारा, जहां है तुम्हारा

मोहब्बत जवां हो, खुला आसमां हो

करे कोई दिल आरजू और क्या
कसम है तुम्हे, तुम अगर मुझ से रूठे

रहे सांस जब तक ये बंधन ना टूटे

तुम्हे दिल दिया है, ये वादा किया है

सनम मैं तुम्हारी रहूंगी सदा

पल पल दिल के पास तुम रहती हो

पल पल दिल के पास तुम रहती हो

जीवन मीठी प्यास ये कहती हो

हर शाम आँखोंपर, तेरा आँचल लहराये 

हर रात यादोंकी बारात ले आये

मैं सांस लेता हूँ, तेरी खुशबू आती है

एक महका महका सा पैगाम लाती है

मेरे दिलकी धड़कन भी तेरे गीत गाती है
कल तुझको देखा था, मैंने अपने आँगन में

जैसे कह रही थी तुम, मुझे बांध लो बंधन में

यह कैसा रिश्ता है, यह कैसे सपने हैं

बेगाने हो कर भी क्यों लगते अपने है

मैं सोच में रहता हूँ, डर डर के कहता हूँ

तुम सोचोगी क्यों इतना मैं तुमसे प्यार करू

तुम समझोगी दीवाना, मैं भी इकरार करू

दीवानोकी ये बातें, दीवाने जानते हैं

जलने में क्या मजा है, परवाने जानते हैं

तुम यूँ ही जलाते रहना आ आकर ख्वाबों में

लुटे कोई मन का नगर, बनके मेरा साथी

लुटे कोई मन का नगर, बनके मेरा साथी

कौन है वो, अपनों में कभी, ऐसा कही होता है


ये तो बड़ा धोखा है
यही पे कही है, मेरे मन का चोर

नजर पड़े तो, बैय्या दू मरोड़


जाने दो, जैसे तुम प्यारे हो

वो भी मुझे प्यारा है, जीने का सहारा है

देखो जी, तुम्हारी यही बतिया

मुझको को है तड़पाती

रोग मेरे जी का, मेरे जी का चैन

सावला सा मुखडा, उस पे कारे नैन

ऐसे को, रोके अब कौन भला

दिल से जो प्यारी है, सजनी हमारी है

का करू मैं बीन उसके रह भी नहीं पाती

नीले गगन के तले,

नीले गगन के तले, धरती का प्यार पले


ऐसे ही जग में, आती हैं सुबहें, ऐसे ही शाम ढले


शबनम के मोती, फूलों पे बिखरे, दोनों की आस फले


नीले गगन के तले.. ..

बलखाती बेले, मस्ती में खेले, पेड़ों से मिल के गले

नीले गगन के तले.. ..



नदियाँ का पानी, दरियाँ से मिल के, सागर की ओर चले



नीले गगन के तले.. ..